दिनांक 08 – 12 – 2019 रविवार को नार्थ इंडिया आदिवासी कल्चरल एसोसिएशन बैंगलोर ने pre क्रिसमस गाथेरिंग (मिलान समारोह ) का आयोजन किया | बैंगलोर के हॉली घोस्ट चर्च (रिचमंड टाउन) के सेमिनरी हॉल में यह कार्यक्रम हुआ जिसमे लगभग 2000 से भी अधिक आदिवासी समुदाय के लोगों ने बड़े उत्साह के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया |
इस कार्यकर्म को रेव. फादर जोसफ बेक के नेतृतिवा में किया गया | रेव. फादर जोसफ Commission for Migrants के सेक्रेटरी हैं |
इस पावन मौके पर फादर मार्टिन, फादर ज़कारीउस भेंगरा के संग और भी अन्य आदिवासी फादर्स मौजूद थे |
कार्यक्रम की शुरुवात रविवारीय मिस्सा से हुई जिसमे प्रभु येशु मसीह के प्रेम के सन्देश को लोगो के बीच साझा किया गया | फिर छोटी सी Tea-ब्रेक के बाद क्रिसमस क्विज हुआ जिसमे 15 वर्ष तक के बच्चो ने हिस्सा लिया | इस क्विज में क्विज मास्टर ने येशु मसीह के जन्म से सम्बंधित प्रश्न बच्चो से पूछे | बच्चो ने भी बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और क्विज के दौरान सांता क्लॉज़ से गिफ्ट्स पाए तो उनकी ख़ुशी देखते ही बनी |
फिर कल्चरल प्रोग्राम में आगे बढ़ते हुए कई नृत्य और ग्रुप सांग्स हुए जिसके judges फादर जोसफ, सिस्टर रीता और फादर संजय रहे | इन परफॉर्मासेस को एक्सप्रेशन, Costume और प्रेजेंटेशन के आधार पर मार्क्स प्राप्त हुए | इस रंगारंग कार्यक्रम में हिंदी, कुड़ुख, मुण्डारी, ओड़िया और असमी भाषा में कई गानें और नृत्य देखने को मिला |
इस कार्यक्रम में बैंगलोर के अलग अलग, छोटे बड़े आदिवासी ग्रुप्स – कर्मेलाराम ग्रुप, इंदिरानगर ग्रुप, HAL ग्रुप, मलेसस्वारम ग्रुप, मारथली ग्रुप, बैंगलोर ईस्ट महिला ग्रुप ने हिस्सा लिया |
ऐसे मिलन समारोह का मुख्य मकसद आदिवासी संस्कृति और भाषा को बचाये रखना है| जो आदिवासी बैंगलोर जैसे शहर में नौकरी या पढाई करने आये हैं, उनके लिए यह एक बहुत ही शानदार मौका होता है की वे अपने समुदाय के लोगो से मिल जुल पाएं और जरुरत पड़ने पर एक दूसरे के काम आ सके |
मध्यान भोजन के बाद आदिवासिओं का सुप्रसिद्ध साइलो नृत्य भी हुआ | इस प्रोग्राम के अंत में रेव.फादर जोसफ बेक ने फादर मार्टिन के संग सबको क्रिसमस गाथेरिंग की बधाई दी और पार्टिसिपेंट्स को उत्साहित करने की लिए पुरष्कार (प्रथम, द्वितीय और तृतीया) भी दिए |
सुचना देते हुए फादर जोसफ ने यह भी बताया की 16 फरवरी 2020 को सभी प्रांतो के बिशप्स बैंगलोर आ रहे हैं , और यह भी कहा की जो भी झारखण्ड, उड़ीसा, असम के आदिवासी हैं वो इस मीटिंग में आ कर अपने प्रांतो के बिशप्स से मिल सकते हैं और अपनी समस्याओं एवं सुझावों को इनके बीच रख सकते हैं ताकि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके |
2 Comments