लातेहार : झारखंड में लतेहार जिले के मनिका प्रखंड के सुदूर हेसातू गांव में पांच साल की बच्ची निमानी की कथित तौर पर भूख से मौत का मामला सामने आया है.
हालांकि लातेहार जिला प्रशासन से भूख से मौत की घटना से इंकार किया है.
लातेहार के एसडीओ सागर कुमार ने हेसातू गांव का दौरा किया है और पीड़ित परिवार के साथ ग्रामीणों से भी बातचीत की है.
यह बच्ची दलित परिवार की है. उसके पिता जगलाल भुइंया लातेहार में एक ईंट भट्टा में मजदूरी करते हैं. घटना के वक्त ने लातेहार में थे. बच्ची की मौत की खबर मिलने के बाद भी लॉकडाउन के चलते उधर ही फंसे हैं.
निम्मी की मौत के समय घर पर उसकी मां कलावती देवी और अन्य सात भाई-बहन थे. इन बच्चों की उम्र 7 महीने से लेकर 13 वर्ष तक है. यह घटना शनिवार शाम की है.
इस परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं है.
लिहाजा सरकारी राशन से यह परिवार वंचित था. इस बीच भोजन के अधिकार से जुड़े मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर घटना की जानकारी ली है.
इसके साथ ही एक रिपोर्ट जारी की है. इस टीम में पचाठी सिंह और दिलीप रजक भी शामिल थे.
ज्यां द्रेज की टीम ने इस मामले में स्थानीय डीलर, मुखिया से भी बात की है. बातचीत और छानबीन में ये तथ्य सामने आए हैं कि इसस दलित परिवार के पास जमीन नहीं है और न ही कोई राशन कार्ड. घर में दो दिनों से अनाज भी नहीं था.
इस टीम ने जगलाल भुइंया की पत्नी यानी मृतक बच्ची की मां कलावती देवी के हवाले से कहा है कि राशन नहीं होने की वजह से इस गरीब परिवार के घर में दो दिनों से चूल्हा भी नहीं जला था.
ग्रामीणों ने भी इस मौत की वजह भूख बताया है.
वहीं, पूर्व जिला परिषद सदस्य रघुपाल सिंह ने भी बच्ची की मौत का कारण भूख ही बताया है.
चूल्हा नहीं जला था
मृतक की मां कलावती देवी का कहना है, मेरी बच्ची की मौत भूख से हुई है क्योंकि मेरे घर राशन नहीं था.
पति लातेहार में मजदूरी करते हैं जो कई दिनों से घर नहीं आए थे.
दो बड़ी बेटियां का नामांकन स्कूल में होने के कारण पिछले माह कुछ राशन विद्यालय के शिक्षक के द्वारा दिया गया था जो कई दिनों तक भोजन चला.
लेकिन इसके बाद खाने के लाले पड़ गए. घर में पिछले दो दिनों से चूल्हा नहीं जला था.
बीडीओ पहुंचे पैसे लेकर
दलित परिवार की बच्ची की मौत की सूचना के बाद आनन-फानन में प्रखंड विकास पदाधिकारी नंदकुमार राम शनिवार की रात्रि पीड़ित परिवार के घर पहुंचे. उन्होंने पांच हजार रूपए तथा 40 किलो अनाज उपलब्ध कराया.
एसडीओ ने कहा तबीयत खराब थी
इधर रविवार को लातेहार के एससडीओ भी हेसातू गांव पहुंचे.
उन्होंने बच्ची की मां कलावती देवी और ग्रामीणों से बातचीत कर पूरी जानकारी ली.
उनलोगों ने इस बात से इंकार किया है कि बच्ची की मौत भूख से हुई है.
सदर अनुमंडल अधिकारी का कहना है कि पूछताछ में यह जानकारी मिली है कि बच्ची की तबीयत दो दिनों से खराब थी.
उसी अवस्था में वह पास के तालाब में शनिवार की दोपहर नहाने चली गई. उसे लू भी लगा था.
इसके बाद उसकी स्थिति और बिगड़ गई जिससे उसकी मौत हो गई.
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी से कलावती देवी के दो बच्चों को राशन मिला था, लेकिन यह भी सही है कि इस परिवार के पास राशन कार्ड नहीं है. अब राशन कार्ड बनाने को कहा गया है.
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सागर कुमार का कहना है कि कुछ महीने पहले तक यह परिवार सतबरवा इलाके में रहता था.
संभव है कि इस वजह से भी राशन कार्ड नहीं बना हो.
लेकिन जिनके राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी लॉकडाउन में दस किलो अनाज देने को सरकार ने कहा है, इस सवाल पर उनका कहना था कि इस बारे में डीलर और मुखिया से जानकारी मांगी गई है.
भोजन का अधिकार
ज्यां द्रेज इस बच्ची की मौत की सूचना मिलने पर हेसातू गांव पहुंचे.
उन्होने कहा है कि जिले और प्रखंड के अधिकारियों से हमलोगों ने जानना चाहा कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन परिवारों के लिए क्या प्रावधान है. इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला.
जिस घर में मौत हुई है, उस परिवार का राशन कार्ड नहीं है और घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है.
कलावती देवी के जितने बच्चे हैं वे कुपोषण के शिकार हैं ऐसे में बच्ची की मौत का कारण भूख ही है.
ज्यां द्रेज की टीम ने जो जमीनी तथ्य जुटाए हैं
लातेहार जिले के दोनकी पंचायत के हेसातु गाँव में 16 मई 2020 को 5 वर्षीय लड़की के मौत का कारण ग्रामीणों ने भूख बताया है.
लगभग 5 वर्ष की निमानी जगलाल भुइयां और कलावती देवी की बेटी थीं. 10 सदसीय परिवार
(पति, पत्नी और चार महीने से लेकर 13 वर्ष तक के 8 बच्चे) के पास जमीन नहीं है और न ही राशन कार्ड है.
दो कमरों के घर में छपर टुटा हुआ है और एक बड़ा सा छेद है. कुछ बर्तन, बिस्तर और एक फट्टा हुआ मछरदानी को छोड़कर अन्य चीजे नहीं हैं.
भोजन के लिए संघर्ष
छले कुछ महीनो से, जगलाल भुइयां अपने दो बच्चो के साथ लातेहार जिले के सुकुलहूट में इट भट्टे में माटी थोपने का काम कर रहे थे. जगलाल आखिरी बार होली में अपने घर आए थे फिर वापस इट भट्टे पर काम करने चले गये थे और अभी 17 मई तक वहीं हैं.
इट भट्टे पर इन्हें और दो बच्चो खाना मिलता है.
जून माह में मजदूरी मिलने की सम्भावना है.
इसलिए वे पिछले दो महीनों के दौरान परिवार को पैसे भेजने में असमर्थ थे.
इस दौरान कलावती देवी बच्चों को खाना खिलाने के लिए संघर्ष कर रही थीं.
जन धन योजना के माध्यम से बैंक खाते में 500 रूपये व स्कूल और आंगनबाड़ी से नगद पैसे और कभी कभार खाना छोड़कर सरकार के तरफ से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली थी.
जब हमने कलावती से पूछा की आप और आपके बच्चे पिछले कुछ दिनों से क्या खा रहीं हैं, उन्होंने दर्द भरी आवाज से कहा की “हम क्यां खाते जब हमारे पास कुछ खाने को नहीं है”.
बीमारी नहीं थी
आस पास के लोगों और कलावती ने बताया की निमानी किसी भी बिमारी से पीड़ित नहीं थी.
लेकिन 16 मई को शाम में वह अचानक पड़ी थी फिर कुछ देर बाद ही निमानी की मौत हो गयी.
कलावती ने बताया की पहले भी दिन में उल्टी हुआ था.
स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी का कहना है कि निमानी दोपहर में नदी में नहाई थी.
शायद इसी कारण से उसे लू लग गया होगा या इसी तरह का कुछ भी.
कई लोगों (निमानी के माता-पिता और पड़ोसियों) के बयान के अनुसार इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की मुख्य कारण भूख था.
मुखिया के पास फंड नहीं
डोंकी पंचायत के मुखिया पति गोपाल उरांव (मुखिया- पार्वती देवी) 17 मई को 12 बजे दिन में जगलाल और कलावती के घर आए थे उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि दस हजार रूपये के मुखिया कोष से उन्हें राशन नहीं दिया गया था. दरअसल कोष में पैसा ख़त्म हो गया था, दूसरी क़िस्त की मांग के लिए मुखिया ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखित रूप में आवेदन दिया था.
सूची में नाम नहीं था
स्थानीय राशन डीलर ईश्वरी प्रसाद गुप्ता का कहना था गैर राशन कार्डधारी परिवारों को राशन देने का कोई प्रावधान नहीं है जब तक की ऑनलाइन राशनकार्ड के लिए आवेदन नहीं किया गया हो. डीलर को 7 परिवारों का सूची मिली थी, जिन्हें वे 10 किलो प्रति माह राशन देते हैं. इनमें कलावती देवी का परिवार नहीं है.
डीलर ने बताया है कि हेसातु और नईहारा के 64 गैर राशन कार्डधारी परिवारों सूचि तैयार कर प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपे थे लेकिन अभी तक उनके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
आंगनबाड़ी सहिया का कहना था कि 16 मई को दोपहर में सूबेदार भुइयां उनके घर आए थे और बताया की निमानी भूखे रहने की वजह से अचानक से गिर पड़ी थी.
उसने कहा कि निमानी ने तीन दिनों से खाना नहीं खाया था.
हालांकि सेविका उनलोगों को स्वास्थ्य केंद्र जाने की सलाह दी थी. वे जब परिवार सेउनसे मिलने पहुंची, निमानी जीवित नहीं थी.